Bhandirvan Vrindavan public conveniences inaugration
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।।
कृष्ण प्रेमधारा ट्रस्ट द्वारा पिछले दिनों भांडीरवन वृन्दावन धाम में यात्रियों, संत-समाज और क्षेत्रवासियों की सुविधा हेतु, सार्वजानिक शौचालय एवं स्नानघर का निर्माण करवाया गया।
११ अप्रैल २०१५ को श्री श्री प्रेमधारा माताजी द्वारा वहाँ सभी भक्तजनों की उपस्थिति में उन जन सुविधाओं का उदघाटन किया गया।
तीर्थ स्थलों या धाम आदि में अक्सर जन सुविधाओं की कमी के कारण विशेषकर महिलाओं को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है। यही कारण था, वहाँ पर ट्रस्ट द्वारा संत-समाज और समस्त भक्त आगंतुकों हेतु यह सुविधा प्रदान करने का। जो भगवदकृपा से सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।
हरि बोल।
यह श्री श्री प्रेमधारा माताजी की विशेष कृपा थी हम सभी पर कि, ट्रस्ट द्वारा श्री वृन्दावन धाम में परम दिव्य स्थल भांडीरवन में, हमें इस विशेष आयोजन में उपस्थित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
वृन्दावन के बारह वन, जो ५००० वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण के लीलावतार के समय से, उन के लीला स्थल हैं, उन्ही में से एक भांडीरवन है।
और यह वृक्ष और स्थल भगवान और उन के सखाओं का क्रीड़ास्थल होता था। वृन्दावन के भीतर में स्थित इस अगम्य दिव्य स्थल के विषय में, बिना गुरु वैष्णवों की कृपा के बिना जानना ही असंभव है।
भांडीरवन पहुँचकर सबसे पहले श्री श्री प्रेमधारा माताजी के द्वारा जन सुविधाओं का उद्घाटन किया गया।
हम सबने वहाँ दिव्य वट वृक्ष के नीचे स्थित श्रीराधा कृष्ण के अत्यंत सुन्दर और मनमोहक श्री विवाह विग्रहों के दर्शन किये।
“उदघाटन के पश्चात् उसी विशाल वट वृक्ष समूह के नीचे चबूतरे पर, श्री श्री प्रेमधारा माताजी ने वहाँ उपस्थित सभी भक्तों को संबोधित किया। उनसे हमने श्री धाम वृन्दावन और भांडीरवन की दिव्यता को जाना। जो उन्होंने एक परम भक्त की कथा के द्वारा बताई।
हमने वहाँ स्थित “वेणु कूप” के भी दर्शन किये जो भगवान की एक प्रमुख लीला है। वहाँ मंदिर में श्री राधा कृष्ण के विग्रह हैं जिन में श्री कृष्ण राधाजी की मांग में सिदूर भर रहे हैं और वो अपने पंजो पर खड़े हैं क्योंकि श्री राधाजी श्री कृष्ण से बड़ी हैं।
जय जय श्री राधे कृष्ण!
फिर हमने यहाँ से प्रस्थान किया और निकट ही स्थित श्री वंशी वट की ओर चले, गेहूं के खेतों के बीच से पैदल चलते।
जय श्री राधे!